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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Wednesday 27 June 2012

जंगल (Forest)

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एक घनघोर जंगल
नदियाँ बहती है इसमें कल कल
पंक्षियाँ मधुर गीत गाती है
जंगल की हरियाली हमें लुभाती है
सभी प्रकार के है जीव जंतु
कुछ जहरीले है परन्तु
शेर जब गुर्राता है
पूरा जंगल दहल जाता है
जब चलता है हाथी
हिलती है जंगल की धरती
जंगल में सजे है रंग बिरंगे फूल
देखो कहीं रास्ता न जाना भूल
यहाँ है नाना प्रकार के पेड़
साल सागौन और खेर

Monday 25 June 2012

आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये (We have come together to create a world)

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आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

जहा हर कोई आजाद हो
किसी की ज़िन्दगी न बरबाद हो
जहा हर किसी के सपने पुरे हो
कोई ख्वाहिश न अधूरे हो
आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

एक ऐसा सुन्दर परिवेश हो
जिसमे किसी का किसी से न द्वेष हो
जहा झूठ का न हो नामोनिशान
सच बोलकर बने हर कोई महान
आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

जहा पैसे से ज्यादा प्यार की अहमियत हो
सबके दिल में नेकी की नियत हो
जहा बड़ो का आदर हो
पर छोटो का न निरादर हो
आओ मिलकर एक ऐसा जहाँ हम बनाये
जहा हर कोई अपनी ज़िन्दगी जी पाए

पर दिल में है एक तूफ़ान (There is storm in my heart)

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खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान

सहनशक्ति है अपना धैर्य खो चुकी
मानवता भी अब बहुत रो चुकी
अन्याय अब कोई न सहन होगा
मानवता भी अब कही न दफ़न होगा
खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान

भ्रष्टाचारियो पर अब लगेगी लगाम
रिश्वतखोरी का होगा काम तमाम
हम करेंगे ऐसा काम
की भारत का हो ऊँचा नाम
खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान

न्याय के लिए अब संघर्ष होगा
बलिदान देश के लिए सहर्ष होगा
अब साथ मिलकर चलना होगा
अधिकारों के लिए लड़ना होगा
खामोश है जुबान
पर दिल में है एक तूफ़ान


सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र (It is a conspiracy hatched by some politicians)

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सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

जाति पाति और धर्म का भेद बढ़ाते है
हमें आपस में लड़ाते है
वोट की राजनीती कर भरपूर फायदा उठाते है
और चुनाव जीतकर संसद में पहुच जाते है
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

गुंडागर्दी करते न आती इनको शरम
भ्रष्टाचार करना है इनका प्रमुख करम
मुनाफावसूली को देते है बढावा
रिश्वत लेना है इनका प्रमुख चढ़ावा
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र

जनता का पैसा अपने अय्याशी में उड़ाते है
बिना मतलब के विदेश दौरे में जाते है
उद्द्योगपतियो को पैसो के लिए धमकाते है
कुछ छोटे मोटे काम कर अपने को धर्मात्मा बताते है
सियासतदानो ने कुछ ऐसा रचा है षड़यंत्र
की इनके बस में हो गया है ये पूरा तंत्र  

कोशिश कर रहा हु (I am trying)

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इंसान की खामोशियाँ भी कहती है बहुत कुछ
मै इन खामोशियो को समझने की कोशिश कर रहा हु

किसी की आँखें बात करती है तो कोई इशारो से बात करता है
मै इनके भावो को समझने की कोशिश कर रहा हु

किसी की हलकी सी आवाज़ में भी कशिश होती है बहुत
मै अपने लब्जो में कशिश भरने की कोशिश कर रहा हु

कभी किसी का मासूम सा चेहरा आकर्षित करता है बहुत
मै हर चेहरे से आकर्षित होने की कोशिश कर रहा हु

कोई अँधेरे से डरता है तो कोई अँधेरे में जीता है
मै अँधेरा हटा उजाला करने की कोशिश कर रहा हु

समुन्दर में आया तूफान है मै बीच मजधार में फ़सा हु
मै अपनी नाव किनारे लाने की कोशिश कर रहा हु 


Sunday 24 June 2012

शादी (Marriage)

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शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

ये तो दो परिवारों का संगम है
दृश्य शादी का तो विहंगम है
दो परिवार एक हो जाते है
मन में कई सपने सजाते है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

दुल्हे को अच्छी दुल्हन की तलाश होती है
तो दुल्हन को दुल्हे से बहुत सी आस होती है
सज धज के दूल्हा दुल्हन लेने आता है
संग दिल में कई अरमान लाता है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

बेटी बाबुल का घर छोड़ पिया घर जाती है
परायी घर को अपना बनाती है
आँख में आंसू मन में संकोच होती है
बाबुल का घर हमेशा के लिए खोती है
शादी नहीं है कोई खेल
ये तो है दो दिलो का मेल

Saturday 23 June 2012

और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण (And they say Bharat Nirman is going on)

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ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

महंगाई करो कम ,जनता कर रही ये पुकार
कम होने के बजाय ले रहा ये दैत्याकार
बढती बेरोजगारी से मचा है हाहाकार
ये सब देखते हुए भी चुप बैठी है सरकार
ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

अपराधियों को सजा न मिल पा रही
गुंडागर्दी दिनोदिन बढते जा रही
न्याय के चौखट पर अन्याय हो रही
पर सरकार तो चैन की नींद सो रही
ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

किसान और मजदुर आज तड़प रहा
उनकी मेहनत का सही कीमत न मिल रहा
लोग इलाज की कमी में मर रहे
क्योकि डाक्टर समय से न मिल रहे
ऊपर से निचे तक हर कोई कर रहा भ्रष्टाचार
और ये कहते है हो रहा भारत निर्माण

Friday 22 June 2012

भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर (corrupt politician and dishonest officer)

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भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

जनता को ठेंगा दिखाकर
कोठियां भरते है अपनी
जो इनके खिलाफ बोले
देते ये उन्हें धमकी चमकी
भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

सडको को कागजो में बनाकर
मरम्मत का भी पैसा निकालते
गरीबो तक आनाज पहुचने से पहले
ये सारा माल है बेच डालते
भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

इमानदारी से कोई करे काम
तो करते है ये उसका जीना हराम
अपनी शक्ति का दुरूपयोग है करते
आमजन को डराते फिरते
भ्रष्ट नेता और बेईमान अफसर
करते है भ्रष्टाचार इस कदर

प्रकृति बाते करती है मुझसे (Nature talks with me)

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प्रकृति बाते करती है मुझसे
पानी कहती है
जिस रंग में मिलो उस रंग का हो जाओ
बादल कहती है
सुखा मिटाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
हवा कहती है
बढते चले जाओ
आग कहती है
दुसरो के लिए अपने को जलाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे
पर्वत कहती है
अपने को ऊपर उठाओ
पेड़ कहती है
दुसरो को शीतलता पहुचाओ
प्रकृति बाते करती है मुझसे

प्रकृति (Nature)

55 comments:
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये कान के पास से गुजरती हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचती मोर
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये चांदनी रात
ये तारों की बरसात
ये खिले हुए सुन्दर फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है मुझसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे


Wednesday 20 June 2012

ज़िन्दगी एक पहेली है (Life is a puzzle)

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ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो एक सहेली है

सुख और दुःख दो साथी है
मस्ती में जियो तो एक झाकी है
गम के बाद ख़ुशी तो आनी होती है
हर ज़िन्दगी की अपनी एक कहानी होती है

ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो एक सहेली है

बुरे दिनों में रुलाती है
तो अच्छे दिनों  में हसाती है
समय समय  में तडपाती है
तो कभी कभी मुस्कुराती है

ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो  एक सहेली है

पाठ नए नए पढ़ाती है
हमेशा कुछ नया सिखाती है
कभी पुरानी यादे ताजा कर जाती है
तो कभी भविष्य की चेतावनी दे जाती है

ज़िन्दगी एक पहेली है
समझ जाओ तो एक सहेली है




पर खुद को बदलने से मै डरता हु (I have been afraid of changing myself)

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दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

परिवर्तन तो तब आएगा
जब ऐशो आराम की ज़िन्दगी को छोड़ा जायेगा
दर्द के साथ जीना होगा
हर गम को पीना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

ज्ञान को बढाना होगा
अज्ञानता को दूर भगाना होगा
अग्निपथ पे बढते जाना होगा
मुश्किलों से टकराना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु

सादा जीवन बिताना होगा
उच्च विचार बनाना होगा
माया मोह का त्याग कर जाना होगा
सन्यास धर्म अपनाना होगा

दुनिया  बदलने की ख्वाहिश मै रखता हु
पर खुद को बदलने से मै डरता हु


Tuesday 19 June 2012

परीक्षा

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परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

बड़ी बड़ी किताबों में छोटे छोटे नियम
रेत के ढेर में सुई ढूढने जैसे करम
पास्कल का नियम हो या न्यूटन का
ये सब कारण है हमारे घुटन का
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

रेखागणित समझ नहीं आता
प्रश्न हल करते वक़्त है अँधेरा छाता
इतिहास तो नहीं होता याद
आखिर किससे करे हम फरियाद
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

भूगोल के अक्षांश देशांश
करते है हमको परेशान
संस्कृत के शब्द है कठिनतम
जिसको याद नहीं कर पाते हम
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

अंग्रेजी का बोझ भारी है
क्योकि परायी भाषा ये हमारी है
हिंदी हमको प्यारी है
क्योकि मातृभाषा ये हमारी है
परीक्षा हमें डराती है
रातों को जगाती है

सोचता हु कवि बन जाऊ (I have been thinking of becoming a poet)

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जी करता है कुछ ऐसा कर जाऊ
की जग में अपना नाम कमाऊ
सोचता हु की कवि बन जाऊ
अच्छी कविताये लोगो को सुनाऊ
पर समझ नहीं आ रहा क्या लिखू
किस चीज़ के बारे में कहू
सकारात्मक लिखू या नकारात्मक
हास्यास्पद लिखू  या व्यंग्यात्मक
लिखने के लिए बहुत सारे विषय है
तेजी से बीत रहा समय है
चलो आमजन की ज़िन्दगी को चुनता हु
क्योकि इस विषय पर बहुत कम सुनता हु
नया होता है रोज इनकी ज़िन्दगी में
भले ही रहते है ये गन्दगी में
उच्च आदर्शो में ये चलते है
भले ही रोज गिरते गिरते सम्हलते है
जीवन में खूब संघर्ष ये करते है
दिनभर मेहनत करके दो वक्त का पेट भरते है

एक शाम बड़ी सुहानी थी (A evening was very pleasant )

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एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

सूरज धीरे धीरे ढल रहा था
देख के उसको मेरा दिल मचल रहा था
आसमान में लालिमा छाई थी
प्रकृति सबसे सुन्दर रूप में आई थी
एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

समुन्दर किनारे बैठे थे हम
दोस्तों के बीच बाँट रहे थे गम
लहरे गुनगुना रही थी
दिल में हलचल मचा रही थी
एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

शुरू जब चुटकुलों का दौर हुआ
ठहाको का शोर चारो ओर हुआ
मौसम का लुफ्त उठाया हमने
जब मिलकर गीत गाया सबने
एक शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही अपनी मनमानी थी

Monday 18 June 2012

थक कर रुकना न कभी यूँही डगर में

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थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में
मुश्किलों से भरी है राहें तेरी
पर ये बात मान ले मेरी
हथियार कभी डालना नहीं
हार कभी मानना नहीं
थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में
जो रुकता नहीं राहों में
जीत होती है उसकी बांहों में
तू हर वक़्त रह तैयार
तेरी ही ओर चलेगी हर बयार
थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में
तूफान तेरा रास्ता क्या रोक पायेगा
जब तू हिम्मत से बढ़ता जायेगा
समुन्दर की लहरे भी तेरा रास्ता न रोक पाएंगी
तेरा हौसला तेरी नाव को किनारे तक लायेंगी
थकान तो लगती है सभी को
यूँही सफ़र में
पर थककर रुकना न कभी
यूँही डगर में