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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday 1 July 2012

जिंदगी (Life)

ये जिंदगी भी अजीब है
सबका अपना अपना नसीब है
खुशिया मिले तो खुशनसीब है
गम मिले तो बदनसीब है

कभी हसाती है तो कभी रुलाती है
हमेशा कुछ नया कर जाती है
कभी लिखाती है तो कभी पढ़ाती है
जिंदगी हमें बहुत कुछ सिखाती है

समझना है इसको बड़ा मुश्किल
जाने कब किसको क्या जाए मिल
मैंने एक बात तो जाना है
दुःख के बाद सुख तो आना है

अब सुन लो मेरी बात
इसको रखना तुम याद
जिंदगी को जीना भरपूर
न रहना कभी बनके मजबूर 

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