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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday 10 June 2012

समय आ पंहुचा है लड़ने का (The time has come to fight)

समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

यु चुपचाप अगर हम सहते रहे
तो ये जुल्म ख़तम न होगा
यु आँखें मूंदे अगर हम बैठे रहे
तो इस सितम का अंत न होगा
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

महंगाई बहुत बढ़ा रहे है
हमें आपस में लड़ा रहे है
जाति धर्म का भेद बता रहे है
हमें नफरत सिखा रहे है
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का

देश को लूटना मकसद है इनका
बेच रहे है हर एक तिनका
झूठी बातो में बहलाते है
और संसद में पहुच जाते है
समय आ पंहुचा है लड़ने का
अन्यायी और अत्याचारियों से झगड़ने का


  

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